नई दिल्ली 
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ तनाव कम करने की कोशिश के साथ भारत कूटनीतिक मोर्चे पर घेराबंदी भी जारी रखेगा। दक्षिण चीन सागर, हिंद-प्रशांत क्षेत्र और अफगानिस्तान में भारत की भूमिका जैसे मुद्दों पर चीन को भारत रणनीतिक घेरेबंदी से जवाब देगा। शुक्रवार को हो रही क्वाड की बैठक चीन के लिए खास संदेश होगी। चार बड़े नेताओं का क्वाड के मंच पर पहली बार एक साथ मिलना चीन की चिंता निश्चित रूप से बढ़ाएगा। क्वाड के सभी देश दक्षिण चीन सागर और हिंद प्रशांत छेत्र में नियम आधारित व्यवस्था की वकालत करते हैं। सामरिक और रणनीतिक रूप से भारत का क्वाड में अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया के साथ बढ़ता सहयोग इस पूरे इलाके में संतुलन बनाए रखने के लिहाज से भी काफी अहम है। खासतौर पर ये देश आपूर्ति श्रृंखला को लेकर चीन का विकल्प तैयार करने के मामले में एकमत नजर आते हैं। कोविड के दौरान उपजी परिस्थितियों के मद्देनजर भारत आपूर्ति श्रृंखला के लिहाज से लगातार समान सोच वाले देशो से सहयोग की वकालत कर रहा है। 

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार देशों के संगठन क्वाड की पहली वर्चुअल बैठक में हिस्सा लेंगे। यह बैठक 12 मार्च को होगी। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मौरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा भी शामिल होंगे। क्वाड नेताओं की इस तरह की यह पहली बैठक है। बैठक में चारों नेता अपने क्षेत्रीय मुद्दों के अलावा कुछ वैश्विक समस्याओं पर भी बात करेंगे। कोरोना महामारी से लेकर जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। म्यांमार की स्थिति सहित कई अन्य ज्वलंत मुद्दे भी चर्चा में आ सकते हैं। इससे पहले, भारत ने अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया से अपनी वैक्सीन उत्पादन क्षमता में निवेश करने का आग्रह किया था। एक सरकारी सूत्र ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को यह जानकारी दी थी। यह क्वाड गठबंधन चीन की बढ़ती वैक्सीन कूटनीति का मुकाबला करने की कोशिश करने के लिए कर रहा है। भारत के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि क्वॉड गठबंधन में शामिल संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत चीन का मुकाबला करने के लिए वैश्विक टीकाकरण के विस्तार के प्रयासों को आगे बढ़ा रहा है। भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता है, का मानना ​​है कि इस प्रयास को पूरा करने के लिए क्वॉड सबसे बेहतर जगह है।

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